The Underwear Index, Musical Stock Market, The Lipstick market effect kya hai?
अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश या ट्रेडिंग करते हो तो आप यह तो चाहोगे ही कि मैं मार्केट से ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाऊ। इसके लिए आप मार्केट का एनालिसिस करोगे की इंडेक्स कब ऊपर जाएगा और कब नीचे गिरेगा। कई तरह के स्टडीज करोगे, कई इंडिकेटर लगाओगे और आप कुछ भी करके मार्केट का मूवमेंट कैसा होगा यह पता लगाने की कोशिश करोगे। इस लेख में आपको कुछ ऐसे अविश्वसनीय इंडिकेटर्स बताऊंगा जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि क्या इससे भी इंडेक्स में हलचल हो सकती हैं।
The Underwear Index
नाम सुनकर ही होश उड़ गए ना। चलिए इसके बारे में बात करते हैं। मार्केट में कुछ प्रोडक्ट ऐसे हैं जिसकी बढ़ती हुई सेल्स से पता लगाया जा सकता है कि इकोनॉमी में रिकवरी आ रही है और लोगों के पास पैसा भी आ रहा है। और वह प्रोडक्ट है हमारे कच्छे (Underwear)।
आदमियों को लगता है कि अंडरवियर हमारी लग्जरी आइटम में से एक है। अगर हमारे पास पैसे होंगे तो हम अच्छे और नए अंडरवेयर खरीद लेंगे। वरना वही पुराने, टूटे फूटे और छेद वाले अंडरवियर पहनकर गुजारा कर लेंगे। और ऐसा काम लड़के ही कर सकते हैं। इसलिए इसका नाम पड़ा ‘द मेंस अंडरवियर इंडेक्स‘ (The Men’s Underwear Index).
जब जब अंडरवेयर की सेल्स बढ़ती थी तब ऐसा माना जाता था कि लोगों की नौकरियां वापस आ रही है। उनके पास खर्च करने के लिए पैसे हैं। इसकी वजह से और कई सारी प्रोडक्ट की डिमांड भी बढ़ेगी और इस निष्कर्ष के आधार पर लोग स्टॉक मार्केट में भी निवेश करते थे। यहां पर मैं “थे” इसलिए बोल रहा हूं कि यह काफी पुराना कंसेप्ट है और इसको सपोर्ट करने के लिए अब तक कोई ठोस सबूत नहीं है।
लेकिन एक समय पर यह कंसेप्ट बहुत पॉपुलर था। यहां तक की यूनाइटेड स्टेट फेडरल रिजर्व के 13 वें चेयरमेन एलन ग्रीनस्पान (Alan Greenspan) इसे बहुत सपोर्ट करते थे। तो भाइयों थोड़ी तो शर्म कर लो। हमारी हरकतें मार्केट इंडिकेटर तक भी बन चुके हैं।
तो आप भी मुझे नीचे कमेंट में बताइए कि ऐसा कौन सा आवश्यक उत्पाद था जो आपने पैसों की कमी की वजह से नहीं खरीदा।
The Lipstick Market Effect
जब इकोनामी में डाउनट्रेंड आता है तो लोगों की नौकरियां चली जाती है। इसकी वजह से लोगों के पास पैसे भी कम या खत्म हो जाते हैं। जब पैसा कम है तो लोग चीजों की डिमांड नहीं करते और खरीदारी कम कर देते हैं। लेकिन इस दौरान कुछ चीजें ऐसी होती है जिसकी डिमान्ड या खरीदारी बढ़ जाती है। मैं आवश्यक उत्पादों की बात नहीं कर रहा हूं मैं बात कर रहा हूं लिपस्टिक की।
अब आप सोचोगे कि पैसा ही नहीं है तो लोग लिपस्टिक क्यों खरीदेगे। रिसर्च से यह पता चला है कि जब पैसा नहीं होता है तो जीवन में मोटिवेटेड रहने के लिए और खुद को संतुष्ट रखने के लिए लोग कोई सस्ता विकल्प ढूंढते हैं। इस दौरान लोग महंगी और लग्जरी उत्पाद तो नहीं खरीद सकते। इसलिए वह छोटी छोटी और सस्ती चीजें ढूंढते हैं। लिपस्टिक इसमें में से एक है। इस फिनोमेना को बोलते हैं तो द लिपस्टिक इफेक्ट और यह एक मार्केट इंडिकेटर भी है।
महामारी के समय जब लॉकडाउन लगाया गया था और लोग मास्क पहन रहे थे ऐसे समय में लिपस्टिक की डिमांड तो नहीं बढ़ी होगी। लेकिन लिपस्टिक की जगह कोई ऐसी भी चीज हो सकती है जो लोगों को छोटी छोटी खुशियां दे सके। आप मुझे नीचे कमेंट में बताओ कि ऐसी कौन सी उत्पाद या कंपनी है जिसने लॉकडाउन में लिपस्टिक इफेक्ट से ज्यादा सेल्स की।
The Musical Stock Market
जैसे अंडरवियर और लिपस्टिक मार्केट इंडिकेटर बन गए हैं उसी तरह स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे वह निर्भर करता है आज आप जो गाना सुन रहे हो उस पर। यकीन नहीं होता ना।
चाहे रिटेल इन्वेस्टर हो या बड़े बड़े इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर, निर्णय लेने वाला हमेशा ह्यूमन बीइंग होगा और शार्ट टर्म में मार्केट इमोशंस पर निर्भर रहता है। आपकी इमोशंस आपके म्यूजिक प्लेलिस्ट से ट्रैक किया जा सकता है। यह डाटा एप्पल म्यूजिक और स्पॉटिफाई जैसे म्यूजिक ऐप्स आराम से शेयर कर देंगे। क्योंकि उसके लिए तो यह एक तक है।
अब यह काम कैसे करता है? हर गीत के लिरिक्स होते हैं जिसको नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके हम 8 कोर इमोशंस जैसे कि खुशी, दुःख, गुस्सा, घृणा, सरप्राइज, भय, विश्वास, एंटीसिपेशन आदि के साथ लिंक कर सकते हैं।
किसी भी देश के टॉप 100 ट्रेंडिंग सोंग का एनालिसिस करके यह पता लगाया जा सकता है कि वह देश इस समय किस मूड में है। जनरल ऑफ फाइनेंसियल इकोनॉमिक्स में पब्लिक हुई इस स्टडी ने 40 देशों में प्रयोग करके यह साबित कर दिया है की म्यूजिक सेंटीमेंट इस हफ्ते और अगले हफ्ते मार्केट में पॉजिटिव या नेगेटिव असर डाल सकता है।
यानी कि आज हमने हैप्पी सोंग्स सुन रहे है तो इस सप्ताह मार्केट अच्छा परफॉर्म करेगा। लेकिन अगले सप्ताह ही हमें मालूम हो जाएगा कि पिछले सप्ताह वाला रिटर्न इमोशन से प्रेरित है। इसलिए मार्केट थोड़ा सा करेक्ट भी हो जाता है।
तो ना चाहते हुए भी हम जो रोजिंदा जीवन में जो काम करते हैं वह बहुत सारी कंपनी के लिए बहुत बड़ा डाटा बन जाता है। यह सभी जानकारी कैसी लगी मुझे नीचे कमेंट में जरूर बताइएगा।
और चलिए देखते हैं कि इस गजब के मार्केट इंडिकेटर को पढ़कर आप नीचे दी गई लिंक से अपस्टॉक्स में अकाउंट खोलते हो या नहीं।
यह भी पढ़ें
क्या मोदी जी ट्रेडिंग कर सकते हैं?
अमेरिकी लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?
एनएसई स्कैम करने वाला हिमालय का अज्ञात बाबा कौन है?
रिटेल निवेशकों ने 2022 में सबसे ज्यादा खरीदे हुए शेयर्स कौन से हैं?
Market Indicators FAQs
स्टॉक या इंडेक्स एनालिसिस करने के लिए कौन से इंडिकेटर्स सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाते हैं?
आरएसआई, बॉलिंगर बैंड्स, मूविंग एवरेज, वॉल्यूम चार्ट, एमएसीडी, 52 वीक हाई और लो आदि का उपयोग मार्केट एनालिसिस करने के लिए बहुत होता है।
मार्केट इंडिकेटर्स क्या है?
एक ऐसा डाटा जो किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का मूवमेंट ऊपर होगा या नीचे होगा इसकी एनालिसिस में मदद हो उसे मार्केट इंडिकेटर कहते हैं।
सेक्टोरल इंडेक्स क्या है?
किसी भी सेक्टर या इंडस्ट्री से जुड़े सभी स्टॉक या कंपनी के डाटा के समूह को सेक्टोरल इंडेक्स कहते हैं। जैसे कि बैंकिंग सेक्टर में सारी बैंक आती है, आईटी सेक्टर में सभी टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनी शामिल है। वैसे ही हेल्थकेयर, एनर्जी, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सभी सेक्टर है और इससे जुड़े डाटा को एनालिसिस उस सेक्टर के इंडेक्स की मदद से किया जा सकता है।