e-RUPI in Hindi | इ-रूपी क्या है, कैसे काम करता है, क्या यह भ्रष्टाचार मिटा सकता है

जब कोई जवान हटा-कटा भिखारी अपनी भूख मिटाने के लिए आपसे पैसे मांगता है तो आप उसकी मदद करने के लिए पैसे दे देते हैं। लेकिन क्या आपको पक्का पता है उसको दिए गए पैसे से वह खाना ही खाएगा। वह दारू पी सकता है या सिगरेट पी भी सकता है। आपने जिस इरादे से पैसे दिए हैं उसके लिए तो वह पैसे उसने खर्च ही नहीं किये।

ऐसी समस्या से सरकार तो कई सालों से जूझ रही है। जैसे कि किसी विद्यार्थी को स्कूल या कॉलेज की फीस भरने के लिए सरकार ने स्कॉलरशिप के लिए रुपए दिए हैं। लेकिन फी भरने की बजाय वह विद्यार्थी उन पैसों को पार्टी करके कहीं और बर्बाद कर देता है या फिर उसके परिवार वाले उस पैसे को किसी और काम के लिए उपयोग में ले लेते हैं। ऐसे तो बहुत सारे उदाहरण है। ऐसी समस्या से भ्रष्टाचार बढ़ता है, बहुत सारी अच्छी कल्याणकारी योजनाएं सफल नहीं होती है, और सरकार ने अच्छे कामों के लिए दिए गए पैसों का गलत उपयोग होता है।

इसका हल निकालने के लिए सरकार ने 2021 में इ-रूपी लॉन्च किया है। इ-रूपी क्या है, कैसे काम करता है, और अन्य सभी मुद्दे पर आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे।

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ें

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इ-रूपी क्या है?

इ-रूपी एक कैशलेस डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन है जहां पर लाभार्थी वाउचर के जरिए किसी को पेमेंट कर सकता है। यह वाउचर आपको एसएमएस या QR कोड के जरिए आपके मोबाइल पर उपलब्ध कराया जाता है। वह वाउचर पर्सन-स्पेसिफिक और पर्पस-स्पेसिफिक है यानी जिस भी उपयोग के लिए जिस भी व्यक्ति को उपलब्ध कराया जाएगा वही व्यक्ति सिर्फ उसी काम के लिए इसे उपयोग में ले सकेगा और कोई काम के लिए नहीं। इस पेमेंट सिस्टम में बीच का आदमी या कोई भी बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं है। इसलिए इसमें भ्रष्टाचार और इसके दुरुपयोग होने की संभावना कम हो जाती है।

2 अगस्त 2021 भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इ-रूपी लांच किया गया है। यह इ-रूपी एनपीसीआई यानी कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा संचालित है और डीएफएस यानी डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस सर्विस एवं एनएचए यानि नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी द्वारा डेवलोप किया गया है।

इ-रूपी लाभार्थी की सभी डिटेल गोपनीय रखता है। इसी तरह एकदम सुरक्षित है, आसान है और साथ में कांटेक्टलेस भी है क्योंकि इसमें आपको कोई भी कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती है। वाउचर में पहले से ही उपलब्ध कराई गई धनराशि की वजह से या पूरा पेमेंट ट्रांजैक्शन तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय हो जाता है।

इ-रूपी कैसे काम करता है?

जिस व्यक्ति को कोई भी कंपनी या गवर्नमेंट इ-रूपी देना चाहती है वह सबसे पहले पार्टनर बैंक के पास जाएगी और उसे इ-रूपी वाउचर इशू करने के लिए कहेगी। अब वह पार्टनर बैंक उस व्यक्ति के नाम का गिफ्ट वाउचर निकालेगी जिसका उपयोग कोई निश्चित हेतु के लिए किया जाएगा।

उदाहरण के तौर पर सरकार किसी विद्यार्थी को ₹40000 की स्कॉलरशिप देना चाहती है। तो बैंक उस विद्यार्थी के नाम का गिफ्ट वाउचर निकालेगी जिसमें पहले से ही ₹40000 की रकम ब्लॉक की गई होगी और उस विद्यार्थी को यह वाउचर को अपनी स्कूल या कॉलेज में फीस भरने के लिए रिडीम कर कर सकता है। इसके अलावा यह वाउचर कहीं पर भी रिडीम नहीं होगा।

यह वाउचर लाभार्थी को अपने रजिस्टर किए हुए मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए या फिर क्यूआर कोड के जरिए मिल जाता है।

इ–रूपी कौन इश्यू कर सकता है?

यह इ–रूपी गिफ्ट वाउचर कोई भी प्राइवेट कंपनी जैसे कि टीसीएस, रिलायंस, इंफोसिस, आदि अपने एम्पलाई के लिए बना सकते हैं। इसका ज्यादा उपयोग सरकार करने वाली है। जैसे कि प्राइवेट हॉस्पिटल पर वैक्सीन लगाने के लिए, राशन देने के लिए, गैस की सब्सिडी के लिए, किसी की स्कॉलरशिप के लिए, कोई वेलफेयर योजनाओं के लिए या बहुत सारी योजनाएं सरकार देशवासियों के लिए लाती रहती है। उसमें यह गिफ्ट वाउचर सरकार बैंक के जरिए इश्यू कर सकती है।

शुरू में आठ बैंक पार्टनर थे वाउचर इश्यू करने के लिए। अब धीरे-धीरे बैंक पाटनर 15 से भी ज्यादा हो गई है।

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कौन से बैंक इ–रूपी को इश्यू करने के लिए पार्टनरशिप में है?

फिलहाल 15 से भी ज्यादा बैंकों की लिस्ट है जो इ–रूपी वाउचर को जनरेट करेगी और उनकी लिस्ट कहां पर है।

  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
  • एचडीएफसी बैंक
  • एक्सिस बैंक
  • पंजाब नेशनल बैंक
  • बैंक ऑफ बरोड़ा
  • केनरा बैंक
  • इंडसइंड बैंक
  • आईसीआईसीआई बैंक
  • बैंक ऑफ इंडिया
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
  • इंडियन बैंक
  • कोटक बैंक
  • इंडियन ओवरसीज बैंक
  • यूको बैंक
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

इ–रूपी को कैसे खरीद सकते हैं?

जो भी पात्र लाभार्थी होगा उसके लिए सरकार या कोई कॉरपोरेट कंपनी इ–रूपी खरीदेगी। यह वाउचर उसे पाटनर बैंक से खरीदने होगे और इस वाउचर में तय की गई धनराशि पहले से ही उपलब्ध कराई जाएगी ताकि लाभार्थी आसानी से उसे रिडीम कर सके।

क्या इ–रूपी भ्रष्टाचार को कम कर सकता है?

हां। बहुत हद तक भ्रष्टाचार कम हो सकता है। पहली बात तो यह कि सरकार या कोई कॉर्पोरेट कंपनी अपने एंप्लोई का जिस उद्देश्य के लिए इ–रूपी गिफ्ट वाउचर दे रही है उसी उद्देश्य के लिए इसे उपयोग में लिया जाएगा। अन्य उद्देश्य के लिए यह वालिड या रिडीम ही नहीं होगा।

इस गिफ्ट वाउचर के लिए कोई मिडलमैन नहीं होगा या फिर कोई बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं होगी। इसलिए भ्रष्टाचार होने की संभावना कम है।

फिर भी कोई भी नए सिस्टम में कुछ खामियां हो सकती है। अब भविष्य में देखते हैं कि इ–रूपी सिस्टम में कोई खामियां निकल कर सामने आती है या फिर इसका कोई दुरुपयोग होता है कि नहीं।

क्या इ–रूपी क्रिप्टोकरेंसी है?

इ–रूपी क्रिप्टोकरंसी नहीं है और ना ही उसके साथ तुलना हो सकती है। लेकिन दोनों में एक सामान्य में बात यह है कि इन दोनों के ट्रांजैक्शन में कोई मिडलमैन नहीं होता। यह दोनों वहां पर ट्रांसफर होता है जिसके लिए और जिस उद्देश्य से इसे बनाया गया है।

इ–रूपी के क्या उपयोग है?

इ–रूपी वाउचर को कोई स्पेसिफिक–पर्सन को कोई स्पेसिफिक–परपज के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। जैसे कि

  • वेलफेयर स्कीम के तहत मां और बच्चे को दवाइयां या फिर न्यूट्रीशनल सपोर्ट देना हो
  • टीबी प्रोग्राम में इसको उपयोग में लेना हो
  • भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना में इसे उपयोग में लेना हो
  • खाद की सब्सिडी, गैस की सब्सिडी, आदि देना हो
  • कई सारे कुटुंबो को राशन उपलब्ध कराना हो
  • प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को कोई फूड वाउचर या ट्रैवल वाउचर उपलब्ध या गिफ्ट करना चाहती हो तो इसका उपयोग हो सकता है

यह कुछ उदाहरण थे। ऐसे बहुत सारे उद्देश्य या प्रोग्राम हो सकते हैं जिसमें इसे उपयोग में लिया जा सकता है।

इ–रूपी के फायदे

  • यह एक परसन–स्पेसिफिक और परपज–स्पेसिफिक वाउचर होने की वजह से सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग होने की संभावना कम है और सरकार का पैसा सही कार्य में उपयोग में लगेगा।
  • इसमें कोई मिडलमैन नहीं है और कोई भी बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं है। इसलिए भ्रष्टाचार में कमी आ सकती है।
  • इस वाउचर में मिलने वाली धनराशि लाभार्थी के बैंक अकाउंट में जमा नहीं होती। बल्कि उसे सीधे अपने मोबाइल में एसएमएस या क्यूआर कोड मिलता है। क्योंकि यह एक यूपीआई प्रीपेड वाउचर है। इसलिए लाभार्थी को बैंक के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़ता है या वहां पर धक्के नहीं खाने पड़ते।
  • इसमें जो भी धनराशि उपलब्ध कराई गई है वह पहले से ही ब्लॉक की हुई है। इसलिए इस वाउचर को आसानी से और तेज़ तरीके से रिडीम कर सकते हैं। इसका रिडक्शन रिडेम्शन आसानी से होगा।
  • इ–रूपी कोई भौतिक वाउचर या कार्ड नहीं है। इसलिए इसे संभालने की झंझट कम हो जाएगी, उसे प्रिंट कराने की भी जरूरत नहीं होगी और यह कोई कार्ड नहीं है इसलिए जो इसे इशू कर रहा है उसे कॉस्ट रिडक्शन का भी फायदा होगा।
  • जो भी इस वाउचर को इशू कर रहा है वह उसके उपयोग को ट्रैक कर सकता है।
  • यह एक तेज़, सुरक्षित और कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन का तरीका है।
  • लाभार्थी को जहां भी उपयोग में लेना है वहां पर उसे कोई पर्सनल डिटेल शेयर नहीं करनी होती। इसलिए यह लाभार्थी कि प्राइवेसी को सुरक्षित रखता है।
  • इ–रूपी के लिए सिर्फ मोबाइल फोन और ई–वाउचर की ही जरूरत पड़ती है। अगर आपके पास स्मार्टफोन है तो आपको क्यूआर कोड मिल जाता है। लेकिन अगर आपके पास स्मार्टफोन ना होकर सिर्फ एक सिंपल फोन भी है तो उसमें एसएमएस के जरिए यह वाउचर आपको मिल जाता है।

क्या इ–रूपी डिजिटल करेंसी है?

नहीं। इ–रूपी नहीं तो डिजिटल करेंसी है नहीं तो क्रिप्टोकरंसी। हालाकि भविष्य में डिजिटल करेंसी लाने का सरकार का उद्देश्य तो है, लेकिन अभी के लिए इ–रूपी डिजिटल करें नहीं है।

हम जो ₹10, ₹20, ₹100 की नोट देख रहे हैं उसे भौतिक करेंसी कहते हैं। हम उसे छू सकते हैं और सरकार को उसे छापना पड़ता है। लेकिन सरकार को डिजिटल करेंसी छापने की जरूरत नहीं पड़ती है। परंतु सरकार या प्राइवेट कंपनी को किसी भी लाभार्थी को इ–रूपी वाउचर उपलब्ध कराने के लिए उसके पिछे भौतिक भारतीय रुपया तो लगता ही है। इसलिए इ–रूपी को डिजिटल करेंसी नहीं कर सकते। लेकिन यह सिस्टम भविष्य में सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) के लिए सरकार का एक कदम हो सकता है।

FAQs

डिजिटल पेमेंट वाउचर का उपयोग अन्य कौन से देशों में हो रहा है?

इ–रूपी जैसा डिजिटल पेमेंट वाउचर का उपयोग यूनाइटेड स्टेट्स, कोलंबिया, चाइल, स्वीडन, हॉन्ग कोंग, चाइना, आदि देशों में हो रहा है। जहां पर स्कूल वाउचर सिस्टम या एजुकेशनल वाउचर दिए जाते है और उसके जरिए विद्यार्थियों को या उनके माता-पिता को यह सब्सिडी वाले वाउचर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

इ–रूपी का पूरा नाम क्या है?

इ–रूपी यह डिजिटल वाउचर सिस्टम को दिया गया एक नाम है। अगर सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध इ–रूपी के लोगों को देखे तो इसमें “” का मतलब इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल लेनदेन का माध्यम है और “आर” भारतीय रुपए का सिंबल है और अंत में “यूपीआई” है जो यूपीआई बेस्ड पेमेंट सिस्टम है। तो इ–रूपी का मतलब होता है यूपीआई बेस्ड डिजिटल लेनदेन का एक माध्यम।

क्या इ–रूपी एसबीआई बैंक को सपोर्ट करता है?

हा। एसबीआई बैंक सहित 15 से भी अधिक बैंकों से इ–रूपी वाउचर इश्यू या जनरेट कराया जा सकता है।

क्या इ–रूपी के लिए कोई ऐप है?

अभी तक इ–रूपी वाउचर के लिए कोई ऐप सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं कराई गई है।

क्या इ–रूपी वाउचर को रिडीम करने के लिए किसी एप की जरूरत पड़ती है?

नहीं। इस वाउचर को रिडीम करने के लिए किसी भी ऐप या डिजिटल पेमेंट एप या कोई भी बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं पड़ती है।

क्या इ–रूपी वाउचर में लाभार्थी की प्राइवेसी बनी रहती है?

लाभार्थी जहां पर भी इस वाउचर को रिडीम करने जाएगा वहां पर उसे अपनी कोई भी निजी जानकारी देने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए उनकी प्राइवेसी बरकरार रहती है।

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