NSE scam case study | Who is mysterious Himalayan Yogi?

All details about NSE scam case study. Who is the mysterious Himalayan Yogi?

पिछले कुछ सालों से फाइनैंशल सेक्टर और बैंक से जुड़े कई सारे स्कैम बाहर आ रहे हैं। चंदा खोचर का आईसीआईसीआई बैंक का फ्रॉड, 11000 करोड़ का नीरव मोदी का पंजाब नेशनल बैंक स्कैम और हाल ही बाहर आया एबीजी शिपयार्ड का स्कैम जो 28000 करोड़ का है। हाल ही में एनएसइ का स्कैम बाहर आया है जिसमें इसके हाय ऑफिशल ही नहीं बल्कि हिमालय का कोई अज्ञात योगी भी शामिल है। हिमालय में बैठाया अज्ञात योगी सालों से NSE के एमडी–सीईओ को अपनी उंगलियों पर कैसे ना चाहता था यह सब आज हम इस लेख में चर्चा करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं NSE scam ki case study.

Table of Contents

NSE और SEBI क्या है?

NSE स्कैम के बारे में आगे बात करने से पहले हम एनएसई, सेबी और उनके ऑफिशल के बारे में थोड़ा जानना जरूरी है। लगभग 30 साल पहले भारत का कैपिटल मार्केट बिल्कुल भी ऑर्गेनाइज्ड नहीं था। Capital market वह प्लेटफॉर्म है जहां पर निवेशक और खरीदार अलग-अलग फाइनेंशियल सैलसिक्योरिटीज जैसे कि शेयर्स, बॉन्ड्स आदि में ट्रेड करते हैं। यह मार्केट ऑर्गेनाइज्ड ना होने की वजह से इसमें बहुत सारे फ्रॉड होते थे, इसमें जोखिम भी ज्यादा था। साथ में यह आउटडेटेड प्रैक्टिस और ओल्ड फैशन इंस्टीट्यूट के लिए जाना जाता था।

1994 में एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की स्थापना के बाद इस कैपिटल मार्केट में बहुत सुधार आने लगा। एनएसई ने ऑनलाइन स्टॉक एक्सचेंज शुरू किया और यहां पर भारत एवं दुनियाभर के निवेशक ट्रेडिंग करके काफी मुनाफा कमाने लगे। एनएसई को सेबी रेगुलेट करता है।

सेबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को सेबी एक्ट के तहत हुई जो पूरे भारत के फाइनेंसियल मार्केट का रेगुलेटर है। सेबी एक्ट के तहत सेबी को सभी लीगल पॉवर दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य यही था कि फाइनेंशियल मार्केट में ऐसा वातावरण बनाना जिससे फाइनेंशियल सिक्योरिटीज की आसानी से और अच्छी तरह से ट्रेडिंग हो सके।

चित्रा रामकृष्णा कौन है? (Who is Chitra Ramkrishna)

Chita Ramkrishna NSE

अब एनएसइ और सेबी के ऑफिशल की बात करते हैं। जिसमें इस स्कैम की मुख्य आरोपी चित्रा रामकृष्ण का नाम आता है। चित्रा का फाइनेंशियल मार्केट में दशकों का अनुभव होने के कारण उसे सेबी की टीम में 1988 में Rulebook का हिस्सा बनाया गया। इसके बाद एनएसई को सेट अप करने के लिए जो लोग पसंद किए गए थे उनमें पहला नाम चित्रा का ही आता है। इंडियन स्टॉक एक्सचेंज को लीड करने वाली पहली महिला होने के साथ चित्रा को 2013 में NSE का मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) भी बनाया गया था और इस पद पर वह 2016 तक रही।

Ravi Narain NSE

अगला अहम ऑफिसर है रवि नारायण (Ravi Narain)। रवि का कैरियर चित्रा के जैसा ही है। वह भी सेबी के रूल बुक और एनएसई को सेट अप करने वाली टीम में था। चित्रा को एनएसई के एमडी के पद से इस्तीफा देने के बाद रवि नारायण को एनएसई का एमडी बनाया गया।

Anand Subramanian NSE

एनएसई काम का अगला महत्वपूर्ण किरदार है आनंद सुब्रमण्यन। आनंद एक पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज में एक मामूली कंसलटेंट की नौकरी करता था। लेकिन 2013 में चित्रा के NSE के एमडी बनने के बाद तुरंत आनंद को NSE का चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर (Chief Strategic Officer) बनाया जाता है। बाद में उसे ग्रुप ऑपरेशन ऑफिसर (GOO) और आगे चलकर एडवाइजर ऑफ एमडी (Advisor of MD) भी बनाया जाता है। पहले आनंद सालाना सिर्फ 15 लाख रूपए ही कमाता था। लेकिन NSE में नियुक्ति के बाद वह सालाना 5 करोड़ रूपए कमाने लगा। आनंद की नियुक्ति की वजह से सेबी को इस स्कैम का पता कैसे लगा यह अब हम देखेंगे।

सेबी को एनएसई स्कैम के बारे में कैसे पता चला? (How does SEBI came to know about NSE scam)

दो कारणों की वजह से एनएसई के कर्मचारियों को आनंद सुब्रमण्यन की नियुक्ति संदेहजनक लगने लगी।

सबसे पहला कारण यह था कि आनंद को उस पद पर नियुक्त किया गया था जिस पद पर पहले एंप्लॉयमेंट पोर्टल पर कभी कोई एडवर्टाइजमेंट दिया ही नहीं गया था। इसका मतलब यह कि एडवाइजर के पद के लिए कोई और कैंडिडेट था ही नहीं। इतना ही नहीं, इस पद की नियुक्ति के लिए जितने इंटरव्यू राउंड होने चाहिए उतने हुए ही नहीं। सिर्फ चित्रा ने आनंद का इंटरव्यू लेकर उसे चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर बना दिया।

दूसरा कारण यह कि आनंद और चित्रा के बीच की नजदीकियां बढ़ रही थी जो NSE के employees नोटिस कर रहे थे। इन सभी कारणों की वजह से चित्रा और आनंद के खिलाफ सेबी में कंप्लेंट की गई।

शिकायत की गंभीरता के चलते सेबी ने NSE के चित्रा, रवि नारायण और अन्य लीडर को showcase नोटिस जारी किया। इस नोटिस के जो जवाब मिलते हैं वह चौका देने वाले मिलते हैं। जिसकी वजह से सेबी चित्रा के पूरे कार्यकाल की जांच पड़ताल का ऑर्डर देता है।

इन सभी मुद्दे में हिमालय के योगी की एंट्री कब हुई और उनका क्या रोल था चलिए यह भी देखते हैं।

एनएसई स्कैम की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में क्या सामने आया? (What does NSE scam investigation report says)

इस जांच में बहुत सारी बातें सामने आई है आनंद सुब्रह्मण्यम की चीफ एडवाइजर के पद पर नियुक्ति के लिए हिमालय में रहने वाले किसी अज्ञात योगी ने चित्रा को मार्गदर्शन किया था। इस पद पर नियुक्ति के बाद आनंद को सीईओ और एमडी को मिलने वाली पावर जैसी पावर की कमान सौंपी गई थी। इसके अलावा आनंद के ट्रावेल एवं प्रमोशन की सिफारिश भी योगी ही दिया करता था।

चित्रा यह भी दावा करती है कि यह योगी उनका मेंटर और गाइड है। जिसे वह “शिरोमणि” कहती है। लेकिन इस योगी का कोई परमानेंट एड्रेस ना होने के कारण चित्रा उसे ईमेल के जरिए कांटेक्ट करती रहती है। ई-मेल के जरिए पिछले 20 सालों से वह योगी से अपने पर्सनल और प्रोफेशनल समस्याओं के लिए गाइडेंस ले रही है।

इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि चित्रा आनंद को अक्सर मनमाना और कभी भी सैलरी बढ़ा दिया करती थी और वह भी बिना किसी परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन के। इतना ही नहीं आनंद को बिना किसी सबूत या रिपोर्ट ही उसे A+ परफॉर्मेंस ग्रेड दिया जाता था।

सेबी ने अपनी जांच में इससे बड़ा खुलासा किया कि चित्रा ने NSE की कई कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट जैसे कि NSE के फाइनेंसियल, बिजनेस प्लांस, प्रॉफिट सिनेरियो, NSE का ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर, एचआर पॉलिसी, फाइनेंशियल रिजल्ट आदि योगी के साथ ईमेल के जरिए शेयर किए हैं। इतना ही नहीं NSE के कर्मचारियों की परफॉर्मेंस और प्रमोशन के बारे में चित्रा योगी से सलाह मशवरा भी लिया करती थी। इससे भी ज्यादा NSE के सीक्रेट्स चित्रा ने योगी के साथ शेयर किए होंगे इसका डर सेबी को है।

सेबी अपने जांच के निष्कर्ष में यह भी मानती है कि चित्रा जिस अनजान योगी की बात कर रही है वह और कोई नहीं आनंद सुब्रह्मण्यन खुद था। सेबी इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा आइए अब यह समझते हैं।

क्या आनंद ही हिमालय का अज्ञात योगी है? (Is Anand Subramanian the unknown Himalayan Yogi)

चित्रा हिमालय में रहने वाले जिस अनजान योगी को ई-मेल भेजा करती थी वह ईमेल एड्रेस [email protected] (Rig Yajur Sama) था। सेबी ने इस ईमेल आईडी की जांच का आदेश Ernst & Young (EY) को दिया तो सामने आए हैं कि यह ईमेल आईडी आनंद का ही थे और वह अनजान योगी और कोई नहीं आनंद सुब्रमण्यन ही था। EY ने इतना बड़ा निष्कर्ष कुछ हकीकतों के आधार पर निकाला।

पहला सबूत यह था कि NSE के डॉक्यूमेंट चेक करने पर EY को “anand.subramanian9” और “suronmani.10” नाम के दो स्काइप अकाउंट मिले थे और यह दोनों अकाउंट [email protected] एवं आनंद के मोबाइल नंबर से लिंक्ड थे।

इसके अलावा चित्रा को योगी द्वारा भेजे गए कुछ दस्तावेजों की जांच हुई तब यह पता चला कि यह सब दस्तावेजों की एंट्री खुद आनंद ने ही की थी। फिलहाल चित्रा ने इन सब तथ्यों को गलत बताया है। इसलिए अभी यह माना जा रहा है कि आनंद ने ही चित्रा को अपने इन सभी मायाजाल में फंसा कर अपना फायदा निकाला है।

एनएसई स्कैम के कौन दोषी है? (Who are guilty of NSE scam)

यहां पर चित्र तो दोषी है लेकिन इसके अलावा NSE के कई और भी अधिकारी सेबी ने दोषी और जिम्मेदार ठहराया है। सेबी की जांच की रिपोर्ट में अन्य दोषियों के नाम सामने आए हैं वह है रवि नारायण (Ravi Narain), वीआर नरसिम्हन (VR Narasimhan), और जे रविचंद्रन (J Ravichandran).

रवि नारायण पर यह आरोप है कि उसे चित्रा के सारे मिसकंडक्ट जानने के बावजूद भी चित्रा को सारे लाभ के साथ अचानक रिजाइन करने की परमिशन दे दी थी। चित्रा के रिजाइन के बाद उसे जो लाभ मिले वह NSE की पॉलिसी के खिलाफ है।

सेबी का यह कहना है कि वीआर नरसिम्हन जो NSE का उस वक्त चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर था उसे अपनी जजमेंट और नॉलेज अप्लाई करके आनंद की अपॉइंटमेंट को रोकना था।

जे रविचंद्रन पर भी सेबी ने कहा कि वह NSE के सेक्रेटरी होने के कारण कंपनी के ऑडिट पर ध्यान देना चाहिए था। क्योंकि उसे बार-बार चित्रा द्वारा हो रहे मिसकंडक्ट को बताया गया था।

एनएसई स्कैम में किसे सजा मिली? (Who was penalized in NSE scam)

सेबी ने चित्रा, रवि नारायण, NSE, वीआर नरसिम्हन, और आनंद को सेबी के नियमों की विभिन्न उल्लंघनों का दोषी पाया है। इसलिए इन सब पर कड़ा जुर्माना लगाया गया है।

कैपिटल मार्केट में जहां सरकार भ्रष्टाचार को कम करने और हटाने की कोशिश कर रही है वहीं पर NSE जैसा केस हमें चेतावनी देता है कि जितने भी रूल्स और रेगुलेशन लागू कर दिया जाए लेकिन लीडरशिप टीम में ही नैतिकता की कमी है तो छोटे से लेकर बड़े बड़े स्कैम देश में होते ही रहेंगे।

एफिशिएंट कैपिटल मार्केट मॉडर्न इकोनामी के लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है। ऐसे घोटालों की वजह से नेशनल और इंटरनेशनल निवेशक भारत में निवेश करने से हिचकिचाएंगे। इसका सीधा असर देश के विकास और इकोनॉमी पर भी पड़ता है। दोस्तों यह थी कहानी एक अज्ञात हिमालयन योगी की जो पूरे NSE को चला रहा था। आपके क्या विचार हैं मुझे नीचे कमेंट में जरूर बताइएगा।

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NSE के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सुचेता दलाल ने NSE पर कौन सी किताब लिखी है?

सुचेता दलाल और देबाशिस बसु ने NSE पर एब्सोल्यूट पावर (Absolute Power) नामक किताब लिखी है।

NSE स्कैम के जिम्मेदार कौन है?

सेबी ने अपने इन्वेस्टिगेशन में चित्रा रामकृष्णा, रवि नारायण, वीआर नरसिम्हन, आनंद सुब्रमण्यन और NSE को दोषी पाकर उस पर बड़ा जुर्माना लगाया है।

NSE को चलाने वाला हिमालय का साधु बाबा कौन है?

सेबी की जांच के अनुसार आनंद सुब्रह्मण्यन ही NSE को चलाने वाला हिमालय का अज्ञात योगी है। लेकिन चित्रा ने फिलहाल इसे नकार दिया है।

NSE की स्थापना कब हुई थी?

NSE की स्थापना 1992 में हुई थी। लेकिन उसे स्टॉक एक्सचेंज की मान्यता अप्रैल 1993 में मिली और जून 1994 में उसका संचालन शुरू हो गया।

NSE का हेडक्वार्टर कहां है?

NSE का हेड क्वार्टर बांद्रा–कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा, मुंबई में है।

NSE में कितनी कंपनी लिस्टेड है?

फाइनेंशियल ईयर 2020 तक NSE में 1959 कंपनियां लिस्टेड है।

भारत के किस स्टॉक एक्सचेंज पर सबसे ज्यादा कंपनियां लिस्टेड है?

बीएसई में। भारत के BSE में 7400 से भी ज्यादा कंपनियां लिस्टेड है।

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