Amalgamation, Book Building, Current Assets
पिछले लेख में हमने हेज फंड, मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स और शॉर्ट सेलिंग के बारेमे माहिती एकत्र की थी। स्टॉक मार्किट को समजने के लिए जरूरी शब्दावली में आज हम अमलगमेशन, बुक बिल्डिंग और करेंट एसेट्स के बारे में माहिती लेंगे।
Amalgamation kya hai?
जब दो या दो से अधिक कंपनियां यूनाइट या मर्ज होकर एक बड़ी कंपनी बन जाती है तो उसे अमलगमेशन (Amalgamation) कहते हैं।
फर्में या कंपनियां आमतौर पर अपनी सेवाओं के विस्तार के लिए या सेवाओं में विविधीकरण लाने के लिए मर्ज होती हैं।
यह आमतौर पर दो या दो से अधिक कंपनियों के बीच किया जाता है जो एक ही व्यवसाय में लगी हुई हैं।
अमलगमेशन के कुछ फायदे हैं जैसे कि इससे कंपटीशन को इंप्रूव करने में मदद मिलती है, टैक्स में सेविंग होती है, इकोनॉमिक स्केल बढ़ता है, शेयरहोल्डर्स की वैल्यू बढ़ती है आदि।
अमलगमेशन के नुकसान भी है जैसे कि मोनोपोलिस्टिक फर्म में पावर का कंसंट्रेशन बहुत बढ़ सकता है, जॉब लॉसेज हो सकती है, कंपनी का कर्जा भी बहुत ज्यादा बढ़ सकता है आदि।
Book Building kya hai?
आईपीओ लॉन्च होने से पहले बुक बिल्डिंग एक ऐसी प्रोसेस है जिसे कंपनी अपने शेयरों की सेलिंग प्राइस निर्धारित करने के लिए उपयोग करती है।
कंपनी बुक बिल्डिंग के माध्यम से एक निश्चित कीमत तय करने के बजाय मांग का आकलन करती है और बोली के लिए एक प्राइस रेंज तय करती है।
इस प्रोसेस में सबसे पहले जारी करने वाली कंपनी एक अंडरराइटर के रूप में कार्य करने के लिए एक निवेश बैंक को काम पर रखती है, जिसे मूल्य सीमा निर्धारित करने का काम सौंपा जाता है, और बाद में एक प्रॉस्पेक्टस का मसौदा तैयार किया जाता है।
बाद में बड़े बड़े इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एवं रिटेल इन्वीटर्स से एप्लीकेशंस मंगाई जाती है। आवेदन दाखिल करते समय निवेशक एक बिडिंग प्राइस और शेयरों की संख्या चुनते हैं।
बिडिंग प्रोसेस पूरी होने के बाद, प्राप्त आवेदनों के आधार पर कट-ऑफ मूल्य को अंतिम रूप दिया जाता है।
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Current Assets kya hai?
सरल शब्दों में कहें तो करेंट एसेट्स किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट पर मौजूद सभी एसेट्स में से एक ऐसा एसेट हैं जिन्हें एक वर्ष के भीतर नकद में परिवर्तित किया जा सकता है।
किसी भी कंपनी के लिए, करेंट एसेट्स बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन के खर्चों के लिए वर्किंग कैपिटल प्रदान करती है।
अवेलेबल कैश जिसमें विदेशी मुद्रा भी शामिल हो सकती है, शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट, प्रीपेड एक्सपेंस, मार्केटेबल सिक्योरिटीज, लिक्विड एसेट्स और इन्वेंटरीज आदि करेंट एसेट्स के उदाहरण हो सकते हैं।
इन एसेट्स को सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी की बैलेंस शीट पर करेंट एसेट्स के अकाउंट में सूचीबद्ध किया गया है, जो हर एक इंडस्ट्रीज में अलग अलग हो सकते हैं।
इसी तरह किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट में नॉन-करेंट एसेट्स भी होते हैं जिसे आसानी से कैश में कनवर्ट नही किया जा सकता।
प्रॉपर्टीज, प्लांट, बिल्डिंग्स, फैसिलिटी, इलिक्विड इन्वेस्टमेंट, इक्विपमेंट्स आदि नॉन-करेंट एसेट्स के उदाहरण है।