कनाडा और भारत के बीच पॉलिटिकल तनाव (India-Canada tension) खासकर खालिस्तान के मुद्दे को लेकर बढ़ते जा रहे हैं जिसका प्रभाव क्या शेयर बाजार पर हो सकता हैं, आइए इस लेख में समझते हैं।
इस तनाव को लेकर द फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत ने करीब 40 अपने डिप्लोमेट्स को वहां से चले जाने को कहा है।
कनाडा और भारत (India-Canada relations) के संबंध महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से व्यापार और बाज़ारों के लिए महत्वपूर्ण है। कनाडाई कंपनियाँ भारत में निवेश करती हैं, और भारतीय कंपनियाँ कनाडा में निवेश करती हैं। आप यह जानने को उत्सुक हो सकते हैं कि यदि उनके रिश्ते खराब हो गए तो क्या हो सकता है (Stock market effects of India Canada tension), खासकर व्यवसायों, कंपनियों और भारत के शेयर बाजार के लिए। आइए इस मुद्दे को समझते हैं।
भारत और कनाडा के बीच क्या हो रहा है? (What’s going on between India and Canada)
18 सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने भारत पर कुछ आरोप लगाए हैं। यह आरोप मुख्य रूप से हरदीप सिंह निज्जर हत्या के बारे में है और उनकी हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का संकेत देते हैं। इस रहस्योद्घाटन ने कनाडा और भारत के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, नई दिल्ली ने इस आरोप को “बेतुका” बताते हुए खारिज कर दिया है। यहां नवीनतम घटनाक्रम पर कुछ अपडेट दिए गए हैं।
जून में, हरदीप सिंह निज्जर, जिन्होंने उत्तरी भारतीय राज्य पंजाब में एक स्वतंत्र सिख मातृभूमि के निर्माण की वकालत की थी जिसका नाम खालिस्तान दिया जाएगा। उनको कनाडा में एक मंदिर के बाहर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोली मार दी गई थी। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि नई दिल्ली ने 2020 में निज्जर को “आतंकवादी” घोषित किया था। इसी बात को लेकर भारत और कनाडा के बीच टेंशन बढ़ गया है।
भारत और कनाडा के बीच तनाव का असर सितंबर में भारत के शेयर बाजार पर जरूर पड़ा है। करीब 12,000 करोड़ रुपये फॉरेन इन्वेस्टर्स भारत से बाहर ले गए हैं। हालाँकि, नवभारत टाइम्स का कहना है कि इस तनाव का भारत में कनाडाई निवेश पर कोई असर नहीं पड़ा है। रिपोर्ट बताती है कि हालांकि निवेशकों ने सितंबर में भारत से पैसा निकाला, लेकिन कनाडाई निवेशकों ने अभी कुछ ज्यादा निवेश नहीं निकला है।
यह समझने के लिए कि यह तनाव भारत के शेयर बाज़ार को कैसे प्रभावित करता है, हमें दोनों देशों के बीच पिछले निवेशों पर नज़र डालनी चाहिए। कनाडा ने भारत में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसमे कनाडाई पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड का अहम निवेश है और साथ में ब्रुकफील्ड जैसे समूह स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं।
इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार, अप्रैल 2000 से मार्च 2023 तक 3.3 बिलियन डॉलर के कुल निवेश के साथ कनाडा भारत के विदेशी निवेशकों में 18वें स्थान पर है, जो महत्वपूर्ण निवेश हो जाता है।
बिजनेस टुडे के अनुसार, 2022 में, भारत कनाडा का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसमें वित्त वर्ष 23 में 8.16 बिलियन डॉलर का बहुत बड़ा व्यापार हुआ था। भारत कनाडा को फार्मास्यूटिकल्स, लोहा और दूरसंचार उपकरण जैसी वस्तुओं का एक्सपोर्ट करता है, जबकि यह कनाडा से कोयला, फर्टिलाइजर्स और दालों का इंपोर्ट करता है।
इसके अलावा, 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारत में हैं, और 1,000 से अधिक कंपनियां भारत में कारोबार करती हैं। भारतीय टेक कंपनियां भी कनाडा में निवेश करती हैं, खासकर साइबर सुरक्षा, सॉफ्टवेयर विकास और तकनीकी शिक्षा जैसे क्षेत्रों में खास भूमिका है।
भारत कनाडा टेंशन से स्टॉक मार्केट में प्रभाव (Impact on stock market due to India-Canada tension)
बीएसई पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जून क्वार्टर के अंत में कनाडाई पेंशन फंड की दिल्लीवेरी में 6% हिस्सेदारी थी। इसके अतिरिक्त, 30 जून, 2023 तक कोटक महिंद्रा बैंक में इसकी लगभग 2.68% हिस्सेदारी थी। इन होल्डिंग्स के अलावा, कैनेडियन पेंशन फंड की ज़ोमैटो में 2.42% हिस्सेदारी, इंडसटॉवर में 2.18%, पेटीएम में 1.76% और नायका में 1.47% हिस्सेदारी थी।
लाइवमिंट की रिपोर्ट है कि कनाडाई पेंशन फंड के पास विदेशों में सूचीबद्ध कुछ भारतीय फर्मों में भी हिस्सेदारी है। उदाहरण के लिए, इसने विप्रो के यूएस-लिस्टेड शेयरों में लगभग 11.92 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके पास इंफोसिस के यूएस-लिस्टेड शेयरों में भी लगभग 21.7 मिलियन डॉलर मूल्य के शेयर हैं। आईसीआईसीआई बैंक के यूएस-लिस्टेड शेयरों में कनाडाई पेंशन फंड का निवेश लगभग 10 मिलियन डॉलर का निवेश है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कनाडाई पेंशन फंडों ने सामूहिक रूप से भारतीय कंपनियों में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जो बहुत बड़ी रकम होती है। हालाँकि तत्काल कोई जोखिम नहीं हो सकता है, लेकिन भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ने पर इन कंपनियों को दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
भारत कनाडा टेंशन से स्टॉक मार्केट में अब आगे क्या होगा? (What is next in stock market due to India-Canada tension)
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, कनाडाई पेंशन फंड भारतीय बाजार से अच्छा रिटर्न कमा रहा है। इसीलिए बढ़ते तनाव के बावजूद कनाडाई निवेशकों ने अभी तक अपना निवेश नहीं निकला है और वे भविष्य में नुकसान से बचना चाहेंगे।
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार की धारणा के संदर्भ में, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और कनाडा के बीच चल रहा तनाव बाजार में कुछ शॉर्ट टर्म नकारात्मक भावनाएं ला सकता है, जिससे शॉर्ट टर्म के लिए बाजार गिर सकता है। हालाँकि, संभवतः इसका बाज़ार पर कोई महत्वपूर्ण दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होगा। इन विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ रहा है और इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय बाजार पर पड़ सकता है। अब यह तो समय ही बताएगा कि आगे स्थिति कैसी होगी।
FAQs about India Canada tension
भारत कनाडा टेंशन किसके स्टेटमेंट से बढ़ा?
हाउस ऑफ कॉमन्स में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को भारत पर गंभीर आरोप लगाए कि खालिस्तान की मांग करने वाले हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटो का हाथ है। इसी स्टेटमेंट को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गए।
भारत कनाडा के बीच बढ़ते तनाव से क्या शेयर बाजार गिर जाएगा?
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म या शॉर्ट टर्म के लिए इस तनाव का असर शेयर बाजार पर हो सकता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में इसका गहरा प्रभाव होने की अभी कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है।
भारत में किस कनाडा कंपनी का बड़ा निवेश है?
कनाडाई पेंशन फंड की भारत की अलग अलग कंपनियों में अच्छी खासी निवेश है, जो करीबन 1 लाख करोड़ रुपए के बराबर होगी।
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