एक स्टार्टअप कंपनी कितनी तेजी से पैसा खर्च कर रहा है उससे बर्न रेट पता चलता है।
यह ज्यादातर स्टार्टअप कंपनियों और निवेशकों द्वारा उपयोग मासिक नकदी की मात्रा को ट्रैक करने के लिए किया जाता है
बर्न रेट बिजनेस की रियलिस्टिक टाइमलाइन तय करने में मदद करता है और यह भी सूचित करता है कि किसी कंपनी के पास अपना अवेलेबल कैश कितनी जल्दी खत्म हो सकता है या कितना समय है।
जब एक कंपनी उसके पास जितना कैपिटल है उससे ज्यादा खर्च करती है या जितना रेवेन्यू है उससे अधिक पैसा खर्च करती है तो उसे पॉजिटिव बर्न रेट कहते है।
मुख्यतौर पर दो प्रकार के बर्न रेट होते हैं। एक नेट बर्न रेट और दूसरा ग्रॉस बर्न रेट।
ग्रॉस बर्न रेट वह है जो किसी एक कंपनी का कुल राशि का हर महीने का टोटल ऑपरेटिंग कॉस्ट होता है।
नेट बर्न रेट एक कंपनी का टोटल अमाउंट है जो वह हर महीने लॉस करती है।
इससे बचने के लिए कंपनी को लागत में कटौती करनी चाहिए या रेवेन्यू में वृद्धि करनी चाहिए।
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