शॉर्ट सेलिंग से पैसे कैसे कमाए?

जब आपको लगता है कि किसी भी शेयर या डेरिवेटिव की कीमत में गिरावट आएगी तो आप उसे सेल करते हो तो उसे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं।

हम सामान्य ट्रेड में पहले किसी भी शेयर या डेरिवेटिव को खरीदते हैं और बाद में बेचते हैं।

लेकिन शॉर्ट सेलिंग में आप उसे पहले बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं।

इक्विटी सेगमेंट में केवल इंट्राडे में ही शॉर्ट सेलिंग की जा सकती हैं।

लेकिन डेरिवेटिव सेगमेंट यानी कि फ्यूचर्स और ऑप्शन में ओवरनाइट शॉर्ट सेलिंग की पोजीशन बनाई जा सकती है।

शॉर्ट सेलिंग में अगर डेरिवेटिव या स्टॉक की कीमत गिरती है, तो आपको लाभ होगा, जबकि यदि कीमत बढ़ती है, तो लॉस होगा।

शॉर्ट सेलिंग हाई रिस्क-रिवार्ड ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है जिसमे प्रॉफिट की संभावना ज्यादा है, लेकिन अगर लॉस होता है तो वह अनलिमिटेड हो सकता है।

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