रेपो रेट क्या है?

पिछले 2 साल May 2020 से रेपो रेट 4% था और इसमें में कुछ भी बदलाव नहीं हुए थे। लेकिन 4 मई 2022 को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने इस में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी की है।

रेपो रेट बढ़ने का असर मार्केट में अच्छा देखने को मिला। इसीलिए कल निफ़्टी 391.50 पॉइंट और सेंसेक्स 1306 पॉइंट यानी 2.29% टूट गया था।

रेपो रेट बढ़ने से इंटरेस्ट रेट बढ़ता है। इसलिए इंटरेस्ट रेट सेंसिटिव सेक्टर्स जैसे की ऑटो, बैंक और रियल्टी के शेयरों में भारी गिरावट हुई। तो यह रेपो रेट किसे कहते है।

रेपो रेट एक ऐसा दर है जिससे हमारे देश के सभी बैंक उसकी सिक्योरिटीज को सेंट्रल बैंक यानी कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रख कर उससे पैसा उधार लेते हैं।

जब हमें पैसों की जरूरत होती है या कोई भी बिजनेस खड़ा करना होता है तब हम बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन के पैसों पर हमें ब्याज चुकाना पड़ता है।

इसी तरह सभी बैंकों को जब पैसों की जरूरत पड़ती है तब वह आरबीआई से पैसे उधार लेती है और उसे भी आरबीआई को इस उधारी के पैसों पर ब्याज देना पड़ता है। इसी ब्याज दर को रेपो रेट कहते हैं।

बैंक जब आरबीआई से उधार लेती है तब उसे आरबीआई के पास कुछ सिक्योरिटी रखनी पड़ती है। जैसे कि ट्रेजरी बिल, गोल्ड, बॉन्ड आदि। ताकि सेंट्रल बैंक को ब्याज पर दी गई अपनी रकम पर सुरक्षा मिले।

यह रेपो रेट आरबीआई यू कहे तो हमारी सरकार के लिए एक बहुत बड़ा हथियार है जो महंगाई, बाजार में पैसों की जरूरत या लिक्विडिटी को काबू करने में काम आता है।

इससे उल्टा जब बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है और पैसों की सप्लाई ज्यादा होती है तब आरबीआई इसे कम करने के लिए बैंकों से ब्याज पर पैसा लेता है। इसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद करंट रेपो रेट 4.40% है।

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट की विस्तृत जानकारी के लिए निचे दिए गए लेख को जरूर पढ़े।